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Haryana: आज भी खेत में कस्सी चलाते हैं 102 साल के ये पूर्व विधायक

Haryana news: उम्र 103 बरस। दिनचर्या: सुबह जल्दी उठना। दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर दूध पीना। बिना चश्मे के अखबार पढऩा और रेडियो सुनना। छाछ पीना, दही खाना। दिन के समय खेत में एक चक्कर लगाना। सब्जियों में खुरपी से खरपतवार साफ करना। यह सहज एवं सरल जीवनशैली है सिरसा जिला के डबवाली उपमंडल के गांव सकत्ताखेड़ा के सहीराम बिश्रोई की। 102 बरस के हो चुके सहीराम वैसे भी कोई साधारण शख्स नहीं है। किसी जमाने में वकालत करते थे। 1957 में अबोहर से जनसंघ की टिकट पर विधायक चुने गए। हिंदी आंदोलन में शिरकत की। ईमानदारी से राजनीति की। सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। वे देश के सबसे उम्रदराज विधायक हैं और आज भी खेतीबाड़ी करते हैं। प्रकृति से उनका खासा लगाव है। सहीराम बिश्नोई का जन्म 12 जनवरी 1922 को संयुक्त भारत के भावलनगर रियासत के गांव तालिया में हुआ था। उनका परिवार काफी समृद्ध था और उनके परिवार के पास करीब 5 हजार बीघा जमीन थी। उनके परिवार के नवाब परिवारों के साथ भी तालुकात थे। उस जमाने में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं का अभाव था। इन सबके बावजूद अपने घर से मीलों दूर रहकर सहीराम बिश्रोई ने उच्च शिक्षा प्राप्त की। बहावलपुर जिला के भावलनगर से उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद फिरोजपुर जिला के मोगा के डी.एम. कालेज से ग्रेजुएशन किया। बाद में लाहौर के लॉ कालेज में वकालत में एडमिशन ले लिया। 1947 में विभाजन के वक्त परिवार संयुक्त पंजाब के डबवाली इलाके के गांव सकत्ताखेड़ा में आकर बस गया। शिमला से उन्होंने अपनी वकालत की डिग्री पूरी की। राजनीति के साथ-साथ उनकी समाजसेवा में भी गहन रूचि रही। इसके अलावा वे वॉलीबाल और फुटबाल के भी अच्छे खिलाड़ी रहे। वर्ष 1952 में उन्होंने अबोहर विधानसभा सीट से आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। 1957 में भारतीय जनसंघ की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने कांग्रेस के ख्यालीराम को लगभग 5,724 वोटो के अंतर से पराजित किया। बिश्नोई ने 1958 में हिंदी आंदोलन में भी हिस्सा लिया और कई बार जेल गए। हरियाणा सरकार ने उन्हें हिंदी आंदोलन सेनानी सम्मान देकर सम्मानित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान लिया था आशीर्वाद
विशेष बात यह है कि 18 फरवरी 2022 को पंजाब के अबोहर में भाजपा की ओर से एक चुनावी रैली रखी गई। इस रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरकत की। इस दौरान मंच पर कुछ केंद्रीय मंत्री व भाजपा उम्मीदवार मौजूद थे। 1957 में अबोहर से जनसंघ के विधायक रहे सही राम बिश्रोई को मंच पर बुलाया गया। मंच पर पहुंचते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे आशीर्वाद लिया। पिछले साल उनके जन्मदिवस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी उन्हें फोन करके बधाई दी थी। अबोहर के मशहूर बिश्रोई मंदिर सहित बिश्नोई समाज के मुख्य मुकाम धाम को कब्जा मुक्त करवाना एवं वर्तमान स्वरूप की नींव रखना उनके संघर्ष से ्रसंपन्न हुआ है। इतना ही नहीं अबोहर के बिश्रोई मंदिर को कब्जा मुक्त करवाने के लिए उन्होंने अपने रिश्तेदारों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था। उनकी ईमानदार शैली और शालीनता एवं नशा एवं कुरीति मुक्त जीवन को बिश्नोई समाज ही नहीं सभी समाज के लोग प्रेरणा के तौर पर अपनाते हैं।


*सादा भोजन है सेहत का राज*
सही राम बिश्रोई के पौत्र उमेद सिंह बिश्रोई बताते हैं कि उनके दादा रोजाना सुबह जल्दी उठते हैं। पूजा-पाठ के बाद वे सुबह दूध पीते हैं। साधारण भोजन करते हैं। 102 बरस की उम्र में भी उन्हें साफ नजर आता है और चश्मा नहीं लगा है। सुबह अखबार अवश्य पढ़ते हैं। ठंड के मौसम में सब्जी, रोटी, दाल लेते हैं। अगर मौसम साफ हो तो दही खा लेते हैं और छाछ पीते हैं। उमेद ने बताया कि उनके दादा एक बार खेत का चक्कर जरूर लगाते हैं। खेत में सब्जियों वगैरह में खुरपी भी चलाते हैं। गांव सकत्ताखेड़ा में एक ढाणी में रहते हैं। एक रोचक बात यह भी है कि जहां पर सही राम बिश्रोई के खेत की सीमा समाप्त होती है, वहां से पंजाब के श्रीमुक्तसर जिला की सीमा श्ुरू हो जाती है। परिवार में दो बेटे, एक बहू एवं एक पौता है। करीब पांच दशक पहले ही सियासत से किनारा करने वाले सहीराम बिश्रोई का परिवार अब खेतीबाड़ी से जुड़ा हुआ है।

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